महर्षि वाग्भट्ट जी के 65 स्वास्थ्य सूत्र कोट्स
क्या आप अपने स्वास्थ्य लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं? क्या आप किसी भी प्रकार की बीमारी से परेशान हैं? तो यह पोस्ट पूरी पढ़ने के बाद आपको ओर कोई चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल करने की जरूरत नही पड़ेंगी। हमारे, ऋषि-मुनि और पुराने लोग आयुर्वेद और योग को फॉलो करके जीवनभर स्वस्थ और निरोग जीवन जीते थे। और हम आज अंग्रेजों की दवाईया (एलोपैथी) खाकर अपनी किडनी, बड़ी-आंत और अमाशय को सड़ा रहे, पूरे शरीर को कमजोर कर रहे हैं।
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वाग्भट ऋषि |
ऋषि वागभट्ट जी का जीवन परिचय (Vagbhata biography)
ऋषि वागभट्ट जी आयुर्वेद चिकित्सा के जनक महर्षि चरक के श्रेष्ठ शिष्य थे। आयुर्वेद चिकित्सा के तीसरे भाग- खान-पान, यम-नियम के आधार पर चिकित्सा ( क्या खाये, क्या ना खाये, कितना खाये, क्या पीये ) इसके चिकित्सक महर्षि वाग्भट्ट थे। जो नियम चरक ऋषि अपनी पुस्तक चरक-संहिता में लिखकर गये, उन नियमो को उन्होंने अपने ऊपर प्रयोग किया और फिर अपनी किताब में लिखा। वाग्भट्ट ऋषि ने दो ग्रंथ लिखे जिनका नाम ” अष्टांगहृदयम और अष्टांगसंग्रहयम ” है इन दोनो पुस्तको में कुल 8000 निरोग जीवन जीने के सूत्र लिखे हुए हैं जो हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा में ऑनलाइन/ ऑफलाइन उपलब्ध हैं। जब तक वाग्भट जी ने यह सिद्ध नही कर दिया की जो नियम मेरे गुरु ने बनाये है, वो भविष्य में लोगो के लिए लाभ पहुचायेंगे या नही तब तक उन्होंने अपने ग्रंथ में नही लिखा हैं। यह बात भी सत्य हैं। की कई नियम जो आपको आसान लगते है, उन पर परीक्षण करने में ऋषि वागभट्ट जी के कई साल लग गये। वागभट्ट जी 135 वर्ष तक जिंदा रहे। उनके शिष्य कहते हैं, उन्होंने इच्छामृत्यु धारण की, जब उनके शिष्यो ने उनको रोका तो, ऋषि वागभट्ट जी ने जवाब दिया, मुझे जितना मानवता के लिए काम करना था, उतना काम कर दिया। अब इस शरीर को त्यागने में ही फायदा हैं। ऐसे महान ऋषि को ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हूं/ जिन्होंने पूरी जिंदगी मानव बिना एक रूपया खर्च किये, स्वस्थ जीवन कैसे जीये उस पर लगाया. “इच्छामृत्यु” का मतलब खुद की मर्जी से समाधि लेकर प्राण त्यागना। यह कार्य ऋषि ही कर सकते हैं। इन शक्तियों और सिद्धियो को पाने के लिए बहुत तप-जप करना पड़ता है। मैं, मेरी बात करू तो जब से वाग्भट ऋषि के बताए चार नियमो का पालन कर रहा हूँ, (सन् 2017 से आज 2021) कुल चार साल हो गए, मैं हॉस्पिटल नही गया मेडिकल नही गया किसी डॉक्टर के पास नही गया क्योकी जरूरत ही नही पड़ी बीमारी तो छोड़ो सामान्य खांसी जुकाम भी नही हुआ।
महर्षि वागभट्ट आयुर्वेद के चार नियम अपनाये, जीवन भर स्वस्थ रहें।
1. सुबह उठते ही एक लीटर पानी पी लो। – पानी बासी मुंह ही पीये, बिना कूल्हा किये। सुबह की वह लार आपके पेट में जाकर पुरा पेट साफ कर देंगी। जिस व्यक्ति का सुबह-सुबह पेट साफ हो गया, उसके जीवन में कभी बीमारी नही आ सकती। सुबह की लार औषधि का काम करती हैं। इसे आज के वैज्ञानिकों ने अपनी भाषा में ‘पानी चिकित्सा’ (वॉटर थेरेपी) नाम दे दिया हैं।
[ ध्यान देने योग्य बातें ]
● एक लीटर का मतलब दो लोटा। अगर इतना नही पी सकते तो शुरुआत में एक लोटा (दो गिलास) पानी पीने की आदत डालें।
● सुबह उठते ही अगर जोर से पेशाब आयी हुई हो, तो पहले मूत्र त्याग ले। उसके बाद आराम से शांत चित्त के साथ नीचे बैठकर पीये।
● हर बार पानी पीने के साथ पानी को मुंह में हिलाये, ताकी मुंह की लार (थूक) पूरा पेट में जा सके।
2. भोजन करने के डेढ़ घण्टे बाद पानी पीये। – खाना खाने के बाद हमारे पेट में जठराग्नि (आग) जलती है। वह आग उस भोजन को पचाती हैं। जब आप खाना खाते ही तुरंत बाद पानी पीते हो। तो वह आग बूझ जाती हैं, और फिर वह भोजन पेट में सड़ता हैं। और फिर बहुत सारी बीमारिया होती हैं।
[ ध्यान देने योग्य बातें ]
● इस नियम को अपनी आदत और दिनचर्याका हिस्सा बनाने के लिए, मैंने जो तरीका अपनाया, आप भी वही करें, वरना एक दिन में आप इस नियम का पालन नही कर पायेंगे। शुरुआत में 5 मिनट 10 मिनट से शुरू करें।
● दस दिन बाद भोजन करने के आधा घंटे बाद पीये और फिर धीरे-धीरे एक घंटा से डेढ़ घंटे तक जाये।
● यह सबसे महत्वपूर्ण बात है, जो मैंने अपने अनुभव से सीखी। भोजन करने के बाद एक बार एक – दो गिलास पानी से अच्छे से कूल्हा अवश्य कर ले इससे आपको पानी पीने का मन नही करेगा।
● या फिर थोड़ा काला देशी गुड़ खा लीजिए, जिससे सब्जी का तीखापन खत्म हो जाएगा। फलों का ज्यूस भी पी सकते हैं (आयुर्वेद के अनुसार)
3. हमेशा घूंट-घूंट पानी पीये। – आप जो खड़े -खड़े गटा-गट पानी पीते हो, एक ही बार में पूरा लोटा पेट में खाली कर देते हो ये तरीका बिल्कुल सही नही हैं। घूंट-घूंट पानी पीने से आपको कभी भी मोटापा नही आयेंगा। आप हमेशा स्लीम व फिट रहोंगे। सारे पशु-पक्षी कौआ-चिड़िया, कुत्ता कोई ओवरवेट नही हैं क्योंकी वो हमेशा पानी को चाट-चाट कर, थोड़ा-थोड़ा पीते हैं। इनको यह ज्ञान प्रकृति माता से मिलता हैं।
[ ध्यान देने योग्य बातें ]
- यह नियम आपको तीस से ज्यादा बीमारियों से बचायेगा। पूरे दिन में जितनी बार पानी पीयो। थोड़ा-थोड़ा, घूट-घूट व मुंह में अच्छे से हिलाकर पीओ।
- इस बात का ध्यान रखें, जितनी बार पानी पीओ, आपकी मुँह की लार शरीर के अंदर जानी चाहिए। यह लार (थूक) बहुत कीमती है इसमे 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद हैं।
4. जीवन में कितनी भी जोर से प्यास क्यों न लगे ठंडा पानी कभी मत पीये।- फ्रीज का पानी कभी मत पीना। अगर आप पाँच- दस साल लगातार ठंडा पानी पीते हो तो, आपको लकवा ( पैरालिसिस), दिल का दोरा ( हार्ट- अटैक) शत प्रतिशत आयेंगा। इस नियम को विज्ञान की भाषा में समझाता हूं। हमारा शरीर हैं गर्म, औऱ जब हम ठंडा पानी पीते हैं, तो शरीर का सारा खून उस ठंडे पानी को गर्म करने में लग जाता हैं। और इस तरह आप लगातार ठंडा पानी पीते जाओंगे, तो एक दिन आपके किसी भी अंग में खून (ब्लड) की कमी हो जायेंगी और वो अंग आपका काम करना बंद कर देंगा। इसी को लकवा कहते हैं।
[ ध्यान देने योग्य बातें ]
- हाँ, घर के मिट्टी के बर्तन (मटके) का ठंडा पानी पी सकते हो, वह प्राकृतिक ठंडा जल हैं।
- बाजार में मिलने वाली पानी की बोतलों का पानी भी नही पीये। या फिर घर से मिट्टी की बोतल या स्टील की बोतल में पानी भरकर लेकर जाये, खाली होने पर कही प्याऊ से भर ले।
आयुर्वेद के अनुसार खान-पान वागभट्ट ऋषि के नियम
● भोजन हमेशा चबा-चबा कर खाये। रोटी के एक ग्रास (टुकड़े) को मुँह में पूरा रस बनाये। इस नियम का पालन करने से बहुत सारे अद्भुत लाभ मिलेंगे।
● गाय का दूध अमृत है। हर दिन शाम को गाय का दूध पीये। गाय का मतलब मैंभारतीय देशी गाय (गौमाता) के दूध की बात कर रहा हूँ।
● प्यास व भूख को मत रोकिये।
● शाम को बिना तकिये सोने से हृदय और मस्तिष्क मजबूत होता हैं।
● रात्रि को बायी करवट सोने से दाया स्वंर चलता हैं, जो भोजन पचाने में सहायक हैं।
● शक्कर और नमक का विकल्प महर्षि वाग्भट्ट जी ने 3000 साल पहले बता दिया था- सेंधा नमक और देशी शक्कर बुरा (खांड) व देशी काला/भूरा गुड !!!
● मिट्टी के बर्तन में बनी कोई भी चीज खाने से कई प्रकार के रोग खत्म होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी, घर में उपयोग होने वाले सभी मिट्टी के बर्तन आपके गांव-शहर के बाजारों में, कुम्हारों के पास और ऑनलाइन उपलब्ध हैं। हमारे पूर्वज सभी मिट्टी के बर्तन/हांडी में ही सबकुछ पकाकर खाते थे।
● भोजन करने से 40 मिनट पहले पानी पी सकते हो।
● भोजन करने से पहले, बीच में, व बाद में पीया पानी आरोग्य की दृष्टि से सही नही है। इस नियम का पालन करने से 50 से 100 बीमारियों से आप हमेशा के लिए बचे रहेंगे।
विरुद्ध आहार लिस्ट (विरुद्ध आहार इन आयुर्वेद)
- दूध में गुड़ डालकर भूल से मत पीना.
- खटे फल दूध के साथ मिलाकर मत खाना।
- शहद- घी [Honey & Ghee]
- उड़द दाल व दही (दहीबड़ा ) मत खाना। दहीबड़ा भी उड़द दाल से ही बनता हैं।
- इडली-डोसा और केला शेक इंग्लिश में [बनाना शेक] बोलते हैं।
वागभट्ट ऋषि टॉप 10 आयुर्वेद के नियम
1.) नियमित रूप से शुद्ध सरसो के तेल से पुरे शरीर पर मालिश करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। व शरीर के सभी अंग पुष्ट होते है। मालिश सुबह करें।
2.) भोजन पालथी मारकर (जमीन पर बैठकर) खाये।
3.) गौमूत्र या त्रिफला चूर्ण दोनों में से एक औषधी का जीवनभर उपयोग करे। यह दोनों ऐसी औषधि हैं, जो शरीर की सभी बीमारियों का कारण वात, पित्त और कफ तीनो को संतुलित करती है।
4.) त्रिफला चूर्ण तीन महीने लगातार सेवन करने के बाद अगले 3 महीने तक आराम ले। वाग्भट्ट जी ने त्रिफला को अमृत बताया हैं।
5.) सोते समय मस्तिष्क (सिर) पूर्व या दक्षिण [East & South] दिशा की तरफ रखकर सोने से आयु बढ़ती हैं, जीवन में कभी मानसिक रोग नही होंगे। बस एक चीज का हमेशा ध्यान रखेंगे तो इस नियम का आप हर दिन आसानी से पालन कर सकते हैं। ‘ जिस दिशा में सूर्य उगता है उसी दिशा में अपना सिर करके सोना है!
6.) मल-मूत्र के वेग को कभी न रोके। मतलब तुरन्त 2 नम्बर-पैशाब आते ही शौचालय की तरफ भागो।
7.) 18 से 60 वर्ष की उम्र के लोग अधिक श्रम ( मेहनत ) करे ।
8.) 14 साल से कम उम्र के बच्चे योग नही करे।
9.) छींक को कभी न रोके और बिना हँसी ना हँसे। वास्तविक हँसी आये तब ही हँसे।
10.) भारतीय रसोईघर में दुनिया की सबसे अच्छी और दुलर्भ ओषधियाँ हैं। उदाहरण;- ( हल्दी, जीरा, राई, धनिया ) इत्यादि ।
वागभट्ट ऋषि के बारे में 5 रौचक तथ्य
1. आयुर्वेद के इतिहास में जब भी सबसे महान ऋषि का नाम लिया जायेंगा। तब महर्षि वागभट्ट जी का नाम ही आयेगा। इनका स्वास्थ्य जगत में विशेष योगदान है।
2. वागभट्ट ऋषि ने 20 साल तक अपने गुरु से गुरूकुल में विद्या प्राप्त की, उसके बाद अपना पूरा जीवन मानव बिना दवाई खाये स्वस्थ कैसे रहे हैं। इसके अनुसंधान में अपना जीवन लगाया।
3. वागभट्ट ऋषि ने मनुष्य सेहतमंद कैसे रहे, उस पर कुल 8000 श्लोक लिखे जो उनके आयुर्वेद ग्रंथ में है।उनकी लेखन भाषा शैली संस्कृत में है। लेकिन समाज सुधारक राजीव दीक्षित व अन्य लेखकों ने इनके दोनो ग्रंथो को हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादन किया है।
4. महर्षि चरक ने जो नियम लिखे, उन नियमो को वाग्भट्ट जी ने किसी पशु-पक्षी, जानवर पर नही अपितु अपने शरीर पर प्रयोग किया। यह बहुत गौरव की बात है, की हमारे सारे ऋषि-मुनि हमेशा से ही पर्यावरण प्रेमी ओर जीव प्रेमी रहे हैं।
5. पांचवा कोई तथ्य नही मेरे विचार हैं। मेरे पाठको से अपील हैं। जब भी आपको आर्थिक-आजादी मिल जाये। तो वाग्भट्ट ऋषि की प्रतिमा और उनके स्वास्थ्य सूत्र अपने गाँव- शहर में जरूर लगाये। यह ज्ञान अपने तक सीमित न रखकर अन्य लोगो को भी इसके बारे में बताये। एक पोस्टर में इन चार नियमों को लिखकर चिपका दे। या फिर लोहे का एक बोर्ड बनवाकर इन 4 नियमो को लिख दे। ताकी हर दिन सेंकडो लोगो को फायदा हो।
ज्ञान बाटने से बढ़ता है। आपके प्रश्न/ विचार/ सुझाव नीचे टिप्पणी करें और अपने परिवार, रिश्तेदार, दोस्त जिनको भी इसकी जरूरत हो उनको आगे जरूर शेयर करें। कर लो साझा🙏 आपके एक बटन दबाने से ना जाने किसी आदमी/महिला की बड़ी पुरानी बीमारी ठीक हो जाये क्योकी इन नियमो का पालन करने सेे जो बीमार है वह ठीक हो जाएगा और जो नही है, वो कभी बीमार नही होंगा।
यह पूरा जीवन ऋषी मुनियों की देन हैं पूर्वजों की देन हैं 🙏🏻😊🌞
jee bilkul 🙂
Bahut bahut dhanyawad ji. Ess post se meri bahut purani bimari khatm ho gai aur ab mein swasth hoon.
इन नियमों को स्कूलों में सिखाया जाना चाहिए । दुनिया का पहला ड्राई सेल भारत के अगस्त्य ऋषि ने बनाया था । वागभट ऋषि का बताया हुआ नियम की सुबह हमारे मुंह में लार बनती है इसलिए पानी पीना चाहिए सुबह सुबह बहुत अच्छा है । जापान ने कई करोड़ रुपए इसी नियम को टेस्ट करने के लिए खर्च कर दिए और इसको वॉटर थेरेपी का नाम दे दिया । भारत के वागभट्ट ऋषि , चरक ऋषि आदि ने कई स्वस्थ रहने के नियम बताए है पर लोग उनका पालन नहीं करते । लोगों को उन नियमों का पालन करना चाहिए और स्वस्थ रहना चाहिए । कई बार ऐसा सुनने को मिलता है कि आयुर्वेद scientifically proven नहीं है इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है तो आप ये सोचिए योग , सुबह पानी पीना बासी मुंह आदि नियम आयुर्वेद में लिखे है पर जब योग को योगा – योगा के नाम से जाना गया और इसके फायदे पता चले तब समझ में आया कि योग कितना कारगर है । आयुर्वेद के नियम ऋषियों ने अपने आप पर उपयोग करके बताए है जैसे वागभट्ट ऋषि ने । उनका पालन करे , स्वस्थ रहे और लोगों को भी उनका पालन करने के लिए कहे ।।।।
Sir nice collection I will try my level best to canvass the work of Vaghbhatji in my small town. Now I have taken too much interest in Ayurveda.
Good Decision 👍 Hamara ek hee maksad hona chahiye, unhone humare liye poori zindagi laga di, ab hamari baari hain. Ki hum unke Gyan Ko logo tak Free me pahuchaye.
Bhaut hi badiya jaankaari batayi aapne. Kripya karke aap muje Vagbhat ji ki sabse acchi aur sahi book ka name or link bata sakte hain? Muje purchase karni h. 🙏😊
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Sir hame charma Rog ke bare me jankari chahiye
Hamari health category ke saare articles padhe usme aapke charm rog (skin diseases) ka samadhan diya hua hai.