Pragya Yoga in Hindi
प्रज्ञा योग युगऋषि, वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के सानिध्य में रचित आसन व प्राणायाम का सुंदर समवन्य हैं। यह बात DSVV देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार जो की हमारे गुरुजी श्रीराम शर्मा आचार्य जी का ही विश्वविद्यालय हैं। वहाँ के एक योग गुरु हैं। वे हर रोज हमे शांतिकुज आश्रम में युगशिल्पी शिविर के योग कक्षा में बोलते थे। और यही लाइन मैंने उपर लिखी। प्रज्ञा योग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आज आपको प्राप्त होंगी इसलिए यह पोस्ट पूरी पढे।
प्रज्ञा योगा क्या है? प्रज्ञा योग के सभी आसन और व्यायाम
प्रज्ञा योग आप गायत्री मंत्र के साथ भी करते हैं और बिना मंत्र के भी। लेकिन अगर आप प्रज्ञा योग गायत्री मंत्र के साथ करते हैं, तो आपका स्वास्थ्थिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी हो जायेगा। आपको जानकर खुशी होंगी और आश्चर्य होंगा, की यह एकमात्र ऐसा अकेला योगआसन हैं इस पृथ्वी पर, जिसमे एक ही आसन में 16 सोलह आसन है। अभी हम प्रज्ञा योगा के सभी आसनों का अभ्यास करना सीखते हैं, स्टेप्स बाय स्टेप्स (pragya yoga steps)
प्रज्ञा योग आसन की शुरुआत करने से पहले खुले आसमान में जाये (घर की छत या मैदान) उसके बाद योगामेट (जमीन पर बिछाने की चदर) लगाये। अभी एकबार गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र खड़े-खड़े ही बोले। अब नीचे जो आपको सोलह आसन बता रहा हूँ। इन्हें जो नम्बर लिखे हुए हैं, 1,2,3,4 जिस नम्बर पर जो आसन हैं, उसी क्रमनुसार करना हैं। आगे पीछे नही। तभी आपको पूरा लाभ मिलेंगा।
1. ताड़ासन (Tadasana) –
आपको सीधे खड़े रहना हैं। और ॐ भू: बोलकर सांस लेते हुए दोनो हाथों को उपर करना हैं। आसमान की तरफ देखना हैं। जितना दोनो हाथ ऊपर लेकर जा सकते हो, उतना लेकर जाये। आपकी एड़ियां ऊपर होनी चाहिये। पूरा वजन पंजो पर।
2. पाद हस्तासन (Paad Hastasana) –
ताड़ासन के बाद सांस छोडते हुए धीरे-धीरे आपको नीचे झुकना हैं। आपको अपने दोनों हाथ, पांवों(पैर) पर लगाने हैं। घुटने एकदम सीधे रखे।
और ॐ भुवः बोलना हैं।
3. वज्रासन (Vajrasana) –
पाद हस्तासन के बाद आपको दोनो पैरों को मोड़ते हुए नीचे बैठ जाना हैं। जैसा की आप ऊपर चित्र में देख रहे हैं। अपने दोनों हाथ घुटनो/जंघाओ पर रखें। और ॐ स्व: बोले।
4. उष्ट्रासन (Ushtrasana) –
वज्रासन के बाद आपको उष्ट्रासन का चित्र देखते हुए, दोनो हाथ पीछे के पैरों पर लगाना है। अगर आप पहली बार कर रहे हैं, तो उष्ट्रासन आपके लिए करना थोड़ा कठिन होंगा, परन्तु धीरे-धीरे अभ्यास से आपके लिए यह आसन बिल्कुल बच्चों का खेल बन जायेगा। फिर बिना परेशानी के कर सकते हैं, जैसे मैं कर लेता हूँ। उष्ट्रासन करते समय सांस ना ले, ऐसे ही कर दे। और ॐ तत्स बोले।
5. योगमुद्रा ( Yoga Mudra ) –
उष्ट्रासन के बाद आपको वज्रासन में ही बैठे -बैठे अपने दोनों हाथों को बांधकर मोड़ना हैं, और नीचे झुकते हुए, सांस छोड़ते हुए कुछ सेकेंड रुकना हैं। और ॐ सवितु बोले।
6. अर्द्ध ताड़ासन (Ardha Tadasana) –
अभी नीचे वज्रासन में बैठे -बैठे ही ताड़ासन करें। मतलब हाथ ऊपर करे, नजरे आसमान की तरफ।
और ॐ वरेण्यम बोले।
7. शंशाकसन ( shanshakasana ) –
अभी आपको जिस तरह खरगोश बैठता है, उस तरह बैठना हैं। ऊपर का चित्र देखकर करे। शंशाकसन करते समय पूरी सांस छोड़ें। आत्मसमर्पण करे, मन को पूरा शांत कर दे।
और ॐ भर्गो बोले।
8. भुजंगासन ( Bhujangasana ) –
अभी थोड़ा ऊपर उठकर गर्दन नजर उपर आसमान की तरफ सांस लेते हुए। और ॐ देवस्य बोले।
9. तिर्यक भुजंगासन बाए ( Triyak Bhujangasana Left ) –
इसको भुजंगासन में ही करना हे, सिर्फ अपनी गर्दन को बाए (लेफ्ट) में मोडनी हैं, सांस लेते हुए हुए। और ॐ धीमहि बोले।
10. तिर्यक भुजंगासन दाऍ Triyak Bhujangasana Right ) –
इसको भी भुजंगासन में ही करना हे, सिर्फ अपनी गर्दन को दाऍ (राइट) में मोडनी हैं, सांस छोडते हुए हुए। और ॐ धियो बोले।
11. शंशाकसन ( shanshakasana ) –
बिंदु नम्बर सात देखे। ॐ यो नह बोले।
12. अर्द्ध ताड़ासन (Ardha Tadasana) –
यह उपर आपको बिंदु नम्बर छ: में बता दिया है। ॐ प्रचोदयात बोले।
13. उत्कटासन ( Utkatasana ) –
अभी आपको अपने पैर के पंजो पर बैठना है। और हाथ जोड़ना हैं। कुछ सेकेंड तक करे। और ॐ भू: बोले।
14. पाद हस्तासन (Paad Hastasana) –
यह उपर दो नंबर पर आपको बता दिया है। और ॐ भूव बोले।
15. पूर्व ताड़ासन ( Poorva Tadasana) –
इसका मतलब भी ताड़ासन ही हैं। बिंदु नम्बर एक को देखे। और ॐ स्व: बोले।
16. शक्तिवर्धक आसन ( Shaktivardhak asana with chanting om mantra ) –
अभी आपको हाथ ऊपर ही रखने हैं,ताड़ासन की पोजिशन में, और दोनो हाथों की मुठी को बांध लेना हैं, और बल की भावना करते हुए, जोर से ओम की आवाज करते हुए। दोनो हाथ नीचे लाये। और सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाये।
【अंत End】:- अब जोर से बोले सावधान ! उसके बाद बोले ‘प्रज्ञायोग से ब्रहाण्ड की सबसे बड़ी शक्ति ओम का शरीर में प्रवेश। ‘ प्रज्ञायोग से शरीर के सभी अंग अवयव मजबूत। 1 मिनट रूककर भावना करें, मेरे सारे मानसिक वह शाररिक रोग खत्म हो रहे हैं। अब अपने हाथ रगडकर चेहरे पर, आंखों पर, और गर्दन पर मालिश मसाज करें।
हर रोज प्रज्ञा योग करने के लाभ
1.आसनों और प्राणायाम का यह संयुक्त प्रयोग शरीर, दिमाग, स्थूल(आपका जीवित शरीर), सूक्ष्म (अदृश्य शरीर) इन सभी के लिए बहुत लाभदायक हैं।
2.दूर दृष्टि दोष खत्म होता हैं। आँखों की रोशनी बढ़ती है
3. सभी प्रकार के कमर दर्द खत्म होते हैं।
4. सर्वाइकल दर्द खत्म होता हैं।
5. शरीर का आध्यात्मिक (Spiritual) विकास होता हैं।
6. ब्रहाण्ड की दिव्य शक्ति का शरीर में प्रवेश होता हैं।
7. चेहरे पर तेज आता हैं। पिम्पस और स्किन प्रॉब्लम खत्म होती हैं।
8. घुटनो के दर्द में आराम मिलता हैं।
9. जिन लोगो की ऊंचाई/ लंबाई (हाइट) नही बढ़ रही, वे लोग प्रज्ञायोग हर रोज करें।
10. पाचन तंत्र मजबूत होता हैं।
11. गर्दन से संबंधित सारे रोग खत्म होते हैं।
12. शरीर संतुलित रहता हैं।
13. ताजगी, उमंग, उत्साह का संचार होता हैं।
Pragya Yoga FAQ
प्रज्ञा योग के जनक कौन है?
प्रज्ञा योग का अविष्कार अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य ने किया था। आज उनके इस योग का प्रचार गुरुदेव से जुड़े हुए सभी लोग विभिन्न माध्यमों से करते हैं। जो भी व्यक्ति शांतिकुंज हरिद्वार जाता है वो प्रज्ञा योग सीखकर ही आता है।
किसी भी उम्र का व्यक्ति प्रज्ञा योग कर सकता है?
उत्तर- जी बिल्कुल ! हर उम्र की महिला-पुरूष, वृदजन, वह 14 साल से ऊपर के बच्चे यह प्रज्ञा योग कर सकते हैं।
प्रज्ञा योगा की क्या विशेषता है जो इसे सबसे प्रभावशाली योगसन बनाती है?
उत्तर – प्रज्ञा योग में कुल सोलह आसन हैं। वह बल की भावना करने से हर दिन दिव्य शक्ति आपमें अवतरित होती है। वह शरीर के सभी अंग अवयव मजबूत होते हैं।
प्रज्ञा योग में कितने चरण होते हैं?
उत्तर – कुल 16 चरण होते हैं और 9 आसन होते है जिनमें से सात आसन को दो बार रिपीट किया जाता है। कुल मिलाकर सोलह आसन हुये।
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