पुष्कर में अस्थि विसर्जन कैसे करें?
पुष्कर शहर राजस्थान (pushkar city rajasthan) में आने वाले 60 से 80 प्रतिशत लोग किसी न किसी धार्मिक महत्व के कारण आते हैं। और उस धार्मिक गतिविधि का नाम है अस्थि विसर्जन करना। सरल भाषा में समझाऊ तो एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसके हड्डियों के अवशेषों को जलमग्न करना। ये हिन्दू धर्म के शास्त्रों की रीत है। इस तरह अधिकतर भारतीय इस परंपरा का पालन हरिद्वार शहर में जाकर करते हैं और कुछ लोग पुष्कर में ही अस्थियां विसर्जित करते हैं। इस पोस्ट में केवल pushkar sahar me asthiyan visarjan के बारे में तथा उस परम्परा से जुड़े तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
पुष्कर में अस्थि विसर्जन कैसे करे? (asthi visarjan in pushkar)
इस पोस्ट को पढ़ते समय ध्यान दे, की इस लेख में लिखी गई हर एक बात सीधे दिल से निकली हुई है अपने अनुभव के आधार पर जानकारी दी जा रही है इसलिए अंत तक पूरी पोस्ट जरूर पढ़ें बहुत कुछ सीखने को मिलेंगा। मैं अपने परिवार के साथ राजस्थान के पाली जिले से अजमेर (पुष्कर शहर) तक कार के माध्यम से अपनी दादी की अस्थियां लेकर गया था। पहली बार अपनी सगी दादीसा की व दूसरी बार अपने पिता की नानीजी की। अभी मैं आपको स्टेप बाय स्टेप पूरा प्रोसेस बताता हूँ जिसमें time, kab, kaise, kaha, kyu जेसे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे;-
【स्टेप-1】अस्थि विसर्जन कब करना चाहिए?
अस्थि विसर्जन करने का जो समय होता है। वो आपके परिवार के या किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के 10 दिन बाद होता है। या इस अस्थियों का श्राद्ध कर्म आदि क्रियाओं के बाद पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। यदि आप गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में रहते हैं तो उसी दिन अस्थि विसर्जित कर दे अन्यथा घर के बहर किसी पेड़ पर अस्थि कलश लटका देना चाहिए या फिर आप शमशान घाट से अस्थियो को कलश में इक्कठा करके जहाँ पर आपके मृतक का शव जलाया वही कहि पेड़ के पास गड्डा खोदकर डाल देना चाहिए।
【स्टेप-2】अस्थि संचय कब करना चाहिए?
अपने परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारो के देह संस्कार के बाद चिता ठंडी होने के पहले दिन या दूसरे-तीसरे दिन ही अस्थि संचय कर लेना चाहिए। ये ध्यान रखें मैं यह राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र की परंपरा की बात कर रहा हूँ। जेसा की आपको पता ही है की भारत के अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं। इसलिए अपने बुजुर्गों से पूछ लेना सही होंगा।
【स्टेप-3】पुष्कर के लिए रवाना होते हुए –
इसके बाद परिवार वाले सभी घर में आये मेहमानों की सहमति से कौन-कौन जाएगा उसकी एक रात को बैठक करके वो दिन तय करते हैं। अब जेसे ही आप तीर्थराज पुष्कर के लिए रवाना होते हैं तो गांव वाले आपको माला पहनाते है। जो अस्थियां आप लेकर जा रहे हो, उसको घर में आये मेहमान तथा विशेषकर जो पुष्कर जा रहे होते हैं वे सब लोग उन अस्थियों को दही व गंगाजल के पानी से धोते है। अभी “जय बोलो पुष्कराज की जय हो” बोलकर घर से रवाना होते हैं।
【स्टेप-4】पुष्कर के पंडित-पंडे आपके बारे में सबकुछ जानते हैं –
जी हाँ, बिल्कुल सही सुना। आप पुष्कर सिटी में प्रवेश करते ही आपके जिले व गांव का नाम पूछेंगे उसके बाद ये पंडित आपकी सात पीढ़ी की पूरी डिटेल्स जानकारी आपको बता देंगे जो आपको भी नही पता। क्यों सुनकर झटका लगा? आप कहोंगे ये कैसे संभव है? यही तो बात है मान्यवर!! सारे पंडित एक दूसरे से जुड़े होते हैं सबके अलग-अलग गांव बांटे हुए होते हैं। तो आप जेसे ही नाम, पता बताओगे वो आपके परिवार के पंडित के पास कॉन्टेक्ट करके उनसे बात कर लेंगे व आपकी क्रियाक्रम मतलब विधि-विधान की शुरुआत हो जायेगी।
【स्टेप-5】घाट पर पूजा कैसे होती है?
अभी आपका पंडित घाट पर आपकी प्रतीक्षा करेंगा। अगर आप दूसरी बार जा रहे हो, तो जाते समय ही पंडे को फोन कर देवे की पंडित जी हम इतने बजे आ रहे हैं आप तैयार रहना। अभी आपके लिए चद्दर बिछाई जायेगी। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 10-20 मिनट पूजा होंगी। जिसमें जेसा-जेसा पंडित जी बोले वैसा-वैसा आपको करना है। ज्यादा कुछ कठिन नही है।
【स्टेप-6】अस्थि विसर्जन कैसे किया जाता है?
अभी अंत में कोई भी दो या एक सदस्य जाकर पुष्कर झील में जाकर अस्थियों को जल में डाल दीजिए। और मृतक महिला या पुरुष जो भी हो उनके आत्मा की शांति के लिए गंगा मैया से प्राथर्ना करे। और ये भी बोले आप हमारे किसी भी परिवार के सदस्य को कष्ट ना देवे।
【स्टेप-7】पुष्कर घाट की झील में स्नान –
अभी आपको मस्ती से या शांति से झील में नहाना है। इस बात का ध्यान रखें किसी प्रकार का कचरा, शेम्पू, साबुन गंगा नदी में ना डाले। इसके अलावा जो कपड़े आप घर से पहनकर जाते हो उनको भी यही पर छोड़ना होता है इसका लॉजिक तो नही पता लेकिन यह भी एक धार्मिक परम्परा है। मैंने भी छोड़े थे। ये कपडे गरीब लोग उठाकर ले जाते हैं। इसके अलावा घाट पर किसी भी प्रकार की गंदगी ना फैलाये।
【स्टेप-7】पंडित को दक्षिणा कितनी देनी है?
अब स्नान करते ही पंडित जी अपनी 100 साल पुरानी बही-खाता बुक खोलते हैं जिसमें आप सभी लोग जो पुष्कराज आये उनके नाम लिखे जाते हैं व आपके हस्ताक्षर ( Signature) भी लिये जाते हैं यादाश्त के लिए। ये डायरी जो आपका नाम लिख रहा होता है उनके दादा के दादा की है। डायरी की शक्ल देखकर ही आपको पता चल जायेगा की कितनी पुरानी है। अभी आप घर से जो भी इकठ्ठा करके पंडित जी के लिए पैसे, दान, कपड़े, भोजन लेकर आये हैं वे उन्हें दे देवे। उसके बाद 1100/-, 2100, 3100, 5100 जितनी आपकी क्षमता और इच्छा हो उतना दे सकते है। उसका कोई निश्चित रकम फिक्स नही है की इतना देना ही देना है
गऊ घाट पुष्कर में क्या होता है? (Gau ghat Pushkar in Hindi)
वेसे तो पवित्र हिन्दू शहर पुष्कर में कुल 52 घाट है लेकिन उनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय गऊ घाट ही है। यहाँ पर सबसे अधिक श्रद्धालु आपको दिखाई देंगे। मुझे भी दोनों बार इसी घाट पर जाने का मौका मिला। इस बात का विशेष ध्यान दे अगर आप कार या दोपहिया वाहन लेकर आये है तो घाट से एक किलोमीटर (1Km) दूर कही छोड़कर आये। पार्किंग बिल्कुल निःशुल्क है। आप मार्केट में कार या बाइक लेकर नही आ सकते घाट तक आपको पैदल ही चलना पड़ेंगा। वेसे गउ घाट तक पहुँचते- पहुँचते रास्ते में बहुत सारी अच्छी-अच्छी हर प्रकार की दुकानें आयेगी जिससे आपको बिल्कुल भी बोरिंग महसूस नही होंगा। इस बात का ध्यान रखे जब आप पुष्कर शहर में प्रवेश करो तो गउ-घाट ना बोलकर सिर्फ आपको ‘घाट’ बोलना है क्योकी सभी 52 घाट जिनमे सभी अलग-अलग नाम से है और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यहाँ पर तीर्थराज पुष्कर जी का प्रचीन मंदिर भी है जिसकी शाम को आरती होती है। इसके अलावा पशु-पक्षियों का भोजन भी यही से खरीद सकते हैं। गंगाजल भी आपको इसी घाट से प्राप्त होंगा। नाम गउ घाट है इसलिए आपको यहाँ पर इंसानो के साथ साथ भारतीय देशी गाय गौमाता के भी दर्शन होंगे इसके अलावा आप घाट से सुंदर होटल, पर्वत के नजारे का आनंद ले सकते हैं। ऊपर लगे लोहे के छत ढकने के पतरे पर कबूतरों की चहलकदमी यानी इनकी उड़ने की आवाज जोर से सुनने को मिलेंगी।
पुष्कर शहर के घाट झील की विशेषता और जलीय जीवों का आकर्षण
इमेज देखकर आनंद आया? जब आप पुष्कर के किसी भी घाट पर जाकर झील को कुछ समय देखोंगे तो आपको सेंकडो देशी-विदेशी पक्षियों का जमावड़ा दिखेंगा। यदि आपको बत्तख (Duck) देखनी है तो फरवरी महीने के अंदर जरूर जाये। वही मार्च-अप्रैल में तो गर्मी के कारण अत्याधिक पक्षी पानी की तलाश में इस झील में आते हैं। इसके अलावा हर घाट पर गाय, कुत्ते, कबूतर आपको देखने को मिलेंगे। कबूतरों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसके अलावा मछलीयो को देखने व अन्य जलीय जीवो को निहारने का आनंद आ गया। सबसे अच्छी बात यह है, पुष्कराज तीर्थ के घाट की , यहाँ पर ऊपर मैने जितने भी जीव-जंतुओं की बात की सबके लिए, मक्की, बाजरा, ममरा व अन्य पोष्टिक भोजन उपलब्ध है जिनको खरीदकर आप अपने हाथों से खिला सकते हैं। कुल मिलाकर पक्षी प्रेमियों के लिए यह अच्छी जगह है
Gau ghat Pushkar के बाहर मालपुआ व अन्य मिठाई खाने का आनंद
जेसे ही पुष्कर शहर के गऊ घाट से आप स्नान, अस्थि विसर्जन, पूजा आदि गतिविधियां करके बाहर निकलते हैं तो आपको बाँए-दाएं, आगे सभी जगह मिठाइयों की दुकान देखने को मिलेंगी जहाँ पर आप गर्मागर्म स्वादिष्ट मालपुआ, कड़ी कचौरी व अन्य स्वीट्स का आनंद ले सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है की ये सभी दुकाने बहुत पुरानी है। लगभग 50 से 100 वर्ष पुरानी। अगर अपना अनुभव बताऊ तो मैंने तीन मालपुए लिये थे। समय दोपहर के 2 बजे थे, सुबह सिर्फ घर से पोहा खाकर निकले थे। माफ कीजिए घर से नही, हाइवे के बाहर खड़े रहने वाले पोहे वाले के छोटे स्टाल (टपरी) से लिये थे। ऐसे में मैने तो फटाफट ठूस लिए। मेरे बगल में बैठी मौसी को शूगर की बीमारी थी इसलिए उन्होंने कचौरी मंगवाई। मेरी मौसी ने पूरी कचोरी चट कर अंत में एक टूकड़ा मुझे दिया, मैंने टेस्ट किया तो बहुत अच्छा लगा। उसके बाद मुझे भी एक कचोरी खाने का मन हो गया। लेकिन बुरा मुझे इस बात का लगा की गऊ घाट के मुख्य प्रवेशद्वार के सामने वाली दुकानों में सिर्फ पानी की बोतलें भरी हुई थी। मतलब मिठाई के काउटँर खाली पड़े थे। जबकी उस रास्ते से सबसे अधिक पर्यटक गुजरते हैं। भाई, हम इतने दूर से पुष्कर जेसे पवित्र शहर में सिर्फ तेरी बोतल का कैमिकल वाला पानी पीने थोड़ी आये हैं। चलिए बहुत गुस्सा निकाल दिया इस आलसी मिठाई वाले पर अभी कुछ काम की बातें करते हैं। वेसे ये एरिया बहुत शांत और अच्छा है आपको यहाँ पर कुछ समय रूकने का आनंद आयेगा।
Asthiyon Ke Bare Me Sawal Jawab
गंगा में अस्थि विसर्जन का महत्व
माँ गंगा एक निरंतर चलने वाली पवित्र नदी है। जहाँ पर अपने स्वजनों की अस्थियों को विसर्जित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
अस्थि विसर्जन में पंडित कौनसे भगवान का मंत्र बोलता है?
भगवान विष्णु का और इसके अलावा आपके कुलदेवता का भी नाम लिया जाता है।
पुष्कर झील में अस्थि विसर्जन का महत्व?
सत्य सनातन धर्म में पुष्कर को तीर्थराज कहा गया है इसका मतलब है सभी तीर्थों में यह सर्वश्रेष्ठ और प्राचीन है। इसलिए पुष्कर घाट में कई बड़े - बड़े महान लोगो की छतरिया भी बनी हुई है। जिनके परिवार के लोगो ने यहाँ पर अस्थि विसर्जन करवाया।
अस्थि कलश का अर्थ बताइए?
इसके अंदर आपके स्वजन जिनकी मृत्यु होती है उनकी हड्डियों मतलब अस्थियों को इसके भीतर संभाल के रखा जाता है।
अस्थियां क्या होती है?
अस्थियां मृतक के शरीर को जलाने के बाद राख के अंदर जलकर पड़ी शरीर की हड्डिया होती है। इसी को अस्थियां कहते हैं।
अस्थि विसर्जन की सामग्री का नाम बताइए?
चावल, कुमकुम, हाथ पर बांधने का रंग-बिरंगा धागा, गंगाजल, पुष्प, दही, दूध इत्यादि।
Gau ghat Me Shochalay Kaha Par Hai? [Toilet near gou ghat pushkar city]
मुझे पता है काफी लोग ये पैराग्राफ पढ़कर हँसेंगे। विशेषकर राजस्थानी लोग। क्योंकी इन लोगो को खाली जगह देखकर मूतने की आदत है। लेकिन पुष्कर शहर में और झील घाट पर आप सार्वजनिक जगह पर पेशाब नही कर सकते हैं। दूसरा कारण इस पोस्ट लिखने का, आप अपने पूरे परिवार के साथ सुबह जल्दी घर से निकलते हैं और गंगा घाट पर पूजा, क्रियाकलाप करते-करते एक-दो घण्टे का समय बीत जाता है जिससे आपको जोर से पेशाब लगती है। ऐसे में आपको जानकारी के अभाव के कारण बहुत तकलीफ देखनी पड़ती है महर्षि वाग्भट्ट ने यहाँ तक कह डाला की ‘ मल-मूत्र के वेग को भूल से ना रोके’। ऐसे में अभी आपको पता बताता हूँ। यहाँ पर शौच करने का 5 रूपया लगता है और दो नम्बर जाने का 10 रूपये। टॉयलेट आपको गौघाट के अंदर प्रवेश करोंगे तब दाएं हाथ ( Right Hand) की तरफ दिख जायेगा। वेसे सारे घाट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं इसलिए आप किसी भी घाट पर क्यों न खड़े हो, आप सीधा मैंने जो बताया उस जगह आकर पेशाब करके अपना पेट खाली कर देवे।
इस तरह आपने राजस्थान राज्य के Pushkar City के Spiritual importance धार्मिक महत्व व अस्थि विसर्जन के बारे में हिंदी में जानकारी प्राप्त की। अपने सवाल/सुझाव/विचार नीचे ब्लॉग कॉमेंट सेक्शन में लिखे। मैं दो बार गया हूँ इन धार्मिक अनुष्ठान/गतिविधियों को सम्पन्न करने में इसलिए मुझे इसके बारे में पूरी जानकारी है इसलिए आप बेझिझक होकर अपने सवाल पूछे। इस पोस्ट को सभी लोगो को शेयर करे। मेरी पुष्कर यात्रा की दूसरी पोस्ट भी जरूर पढ़ें।
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