सुबह कब नहाना चाहिए?
सुबह जल्दी नहाना या स्नान करना दोनो एक ही बात है। पर शायद ही किसी ब्लॉगर ने या यूट्यूबर ने आपको इस टॉपिक के बारे में बताया होंगा, ना ही हमें स्कूलों में इस टॉपिक पर कुछ बताते हैं। पर हमारे भारत देश के शास्त्रो में इसका वर्णन है, की कितने बजे उठे और कितने बजे नहाए। यह काम उतना ही जरूरी है, जितना की रोज नौकरी पर जाना, खुद का बिजनेस करना आदि। आज इस पोस्ट में आपको नहाने का सही तरीका और समय बताउंगा जो आपके पूरे जीवन की दिनचर्या को व्यवस्थित कर देंगी। और आपको एक सफल इंसान बनायेगी।
सुबह 3 से 4 बजे ब्रह्मूहर्त में स्नान करने के जादुई फायदे
सुबह तीन बजे से चार बजे (3 am to 4 am early morning) के बीच में नहाने के टाइम को ‘ऋषि स्नान’ कहा जाता हैं। इस समय नहाने के फायदे आप नीचे लिखे बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं;-
● इससे ऋषि-मुनियों की तरह श्रेष्ठ चिंतन प्राप्त होता हैं। जिससे आप किसी भी समस्या का हल निकालने में सक्षम हो जाते हैं।
● जाहिर सी बात है, सुबह तीन बजे नहा लोंगे, तो दिन का सारा काम आसानी से और तेज गति से कर पाओंगे। और जल्दी अपना जीवन लक्ष्य बना पाओंगे।
● पुरे दिन आलस नही आयेगा और शांत और फुर्तीले दिमाग से काम कर पाओंगे।
● जल्दी स्नान करने की वजह से, मान लो आपको आपातकाल में कही गाँव/शहर या बाजार जाना है, तो आप तुरन्त जा सकते हो वरना बिना नहाये हमारा कही पर जाने का मन नही करता।
● अपना जो भी डेली टास्क हैं, उसको ×10 गुणा तेज गति से कर सकोंगे वह सारे नित्यकर्म आसनी से बिना किसी उलझन में आसानी से कर सकते हो। नींचे लिखी पोस्ट नही पढ़ी, तो समझो मानव जीवन बेकार, क्योकी इसमें रहस्य/जादू है।
● समय पर योग व व्यायाम कर सकते हो उसके बाद आपकी जठराग्नि तेज हो जायेगी तो आप समय पर नास्ता और भोजन करोंगे इससे आपका स्वास्थ्य और शरीर दोनो अच्छा रहेगा।
● जबतक आपके परिवार वाले सोकर उठेंगे, तब तक तो आप अपना महत्वपूर्ण काम पूरा भी कर दोंगे।
सुबह 4 से 5 बजे के बीच का स्नान
सुबह चार बजे से पांच बजे के बीच के नहाने के टाइम को ‘देव स्नान’ कहा जाता हैं। देव स्नान का मतलब देवतागण / देवताओं का नहाने का समय। इस समय नहाने से सुख, समृद्वि और धन की कभी कमी नही रहती। इसलिए ऋषि – स्नान छूट जाए तो देव स्नान करने की आदत जरूर डाले।
प्रातःकाल 5 बजे से 8 बजे के बीच में नहाने का समय
सुबह पाँच बजे से आठ बजे के बीच के नहाने के टाइम को ‘मनुष्य स्नान’ बोलते हैं। यह स्नान भी बुरा नही है। पर मैं, मेरे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर बताऊँ तो इसमें इतना आनंद भी नही आता, और सारे शौच, दातुन जल्दबाजी में करने पड़ते हैं जिससे चिड़चिड़ापन और तनाव आता है अगर आपका जीवन लक्ष्य सिर्फ अपना और परिवार का दो समय पेट भरना है तो आपके लिए यह समय उत्तम है। लेकिन आप कम समय में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हो या जीवन में लाखों / करोड़ो लोगो का जीवन बदलना चाहते हो, तो आपके लिए यह समय बिल्कुल भी नही है।
सुबह 8 बजे के बाद का स्नान
सुबह आठ बजे के बाद के नहाने के टाइम को ‘राक्षस स्नान’ कहा जाता हैं। इस समय जो भी व्यक्ति (महिला/पुरुष) स्नान करता हैं, उसके जीवन में दुःख, संताप, पीड़ा, चिंता, तनाव और दरिद्रता आती हैं। ऐसे मनुष्य जीवन में तरक्की नही कर पाते। दुनिया का पता नही पर भारत में जाने/अनजाने में एक बहुत बड़ी जनसंख्या यह काम हर दिन करती है और इसका परिणाम भी उनको पैसों की तंगी वह अन्य मुसीबतों के रूप में मिलता हैं।
गर्म पानी से नहाने के नुकसान Hot water bath disadvantages
सर्दियों में अक्सर हम गर्म-गर्म पानी अपने शरीर में या सिर पर डालते हैं। जो आपके शरीर के अंदर के व बाहर के अंग अवयवों को खोखला कर देता है। स्वदेशी के कट्टर समर्थक, महान समाज सुधारक राजीव दीक्षित जी ने अपने एक व्याख्यान में कहा था, की अगर आप ज्यादा गर्म पानी या आधा गर्म पानी अपने सिर पर डालते है तो कुल 135 रोग (बीमारिया) आयेगी। वह तेज गर्म पानी (हॉट वॉटर) अपने माथे में डालने से मष्तिष्क कमजोर हो जाता हैं। मैंने बहुत सारे लोगो को देखा है, जो गर्मी के अंदर भी गर्म पानी या हल्का गर्म पानी करके नहाते है, ऐसा वो या तो बुरी आदत के कारण करते हैं या फिर उनको ठंडे पानी से डर लगता है। तीसरा कारण आपको पता हो, तो नीचे टिप्पणी बॉक्स में कमेंट के माध्यम से अपनी राय दे।
तेज सर्दी में या बीमार होने पर किस तरह के पानी (जल) से नहाये?
उत्तर- हल्का गर्म ! जिसे इंग्लिश भाषा में ‘वार्म वाटर’ कहते हैं। इसे आप दूसरी परिभाषा में समझे तो ‘ ना ज्यादा गर्म और ना ज्यादा ठंडा। बीच के रास्ते को पकड़ कर आप कड़ाके की ठंड में या किसी बीमारी में नहा सकते हो उसमें कोई दिक्कत नही है। लेकिन शौक से या डर से गर्म पानी से नहाना बिल्कुल भी सही नहीं है।
ठंडे पानी से नहाने के फायदे [Cold water bath benefits]
अभी हम बात करेंगे “कोल्ड वाटर बाथिंग” यानी ठंडा पानी से नहाने के गजब के फायदे। इसका वर्णन आयुर्वेद में भी है। अब लाभः बताने से पहले मैं, चेतावनी देना चाहता हूँ, की मैं यहाँ पर फ्रिज के ठंडे पानी की बात नही कर रहा हूँ। मैं तो घर के नलकूप (नल) से आ रहे प्राकृतिक ठंडा पानी की बात कर रहा हूँ। चलिए जानते हैं कुछ फायदे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से;
1. ठंडा पानी सिर पर डालने से शरीर की सारी गर्मी बाहर निकल जाती है।
2. ठंडे जल से नहाने के बाद बॉडी और माइंड दोनो तरोताज़ा हो जाते हैं। एक फ़्रेश एंड रिफ़्रेश वाली फीलिंग आती हैं।
3. ठंडे जल से नहाने से कई प्रकार की शाररिक व मानसिक बीमारियां दूर होती हैं।
स्नान करने के नियम (bathing rules in hinduism in hindi)
आपको कुछ उपयोगी आयुर्वेदिक स्नान करने के नियमो के बारे में बताऊंगा जिससे की आप स्नान का पूरा लाभ उठा सके;
● ज्यादा गर्म पानी का उपयोग करना बंद करे।
● घर पर ही मुल्तानी मिट्टी, हल्दी, नीम, से आयुर्वेदिक साबुन से स्नान करें इसके एक हजार से भी ज्यादा फायदे हैं जो आपको इस पोस्ट में बताना संभव नहीं है। साबुन बनाने की विधि नीचे के उपबिन्दु में बताई गई हैं।
● स्नान का मतलब आयुर्वेदिक साबुन! इससे पर्यावरण और आपका शरीर दोनो तंदुरुस्त रहेंगे।
How to make ayurvedic soap at home in Hindi – आयुर्वेदिक नहाने का साबुन बनाने की विधि
【स्टेप -1】- सबसे पहले जितना साबुन आप बनाना चाहते हैं उतनी मुल्तानी मिट्टी बाजार से खरीद दीजिए उसके बाद उसको कूट-पीसकर पाउडर बना दीजिए। शुरुआत एक किलोग्राम मुलतानी मिट्ठी से करे।
【स्टेप -2】अब कुछ सामग्री आपकी इच्छानुसार डालिए जिसमें नीम के पत्ते को मिक्सी में पीसकर पेस्ट बना दीजिए, थोड़ी पीसी हुई हल्दी डाल दीजिए, एलोवेरा का रस, और आप चाहे तो थोड़ा देशी गाय का गोमूत्र और थोड़ा सा गाय का गोबर भी मिला सकते हैं। सारे आध्यात्मिक संत, साधु, वह गोभक्त गाय के शरीर से निकले गोबर, गोमूत्र वह पंचगव्य का हर दिन उपयोग करते हैं।
【स्टेप -3】- अब आपने जितना मुलतानी मिट्ठी का पाउडर बनाया है उसको एक बड़े स्टील या किसी भी बर्तन में डाल दीजिए और उसका दोगुना पानी डाल दीजिए। उदाहरण;- आपने एक किलो (1KG) मुलतानी मिट्टी ली तो आपको उसमे 1 लीटर या 1.5 लीटर पानी डालना है मतलब थोड़ा गाडा- गीला लेप की तरह आपको दिखना चाहिए। ताकी आप उसे बड़े चमच्च से अच्छी तरह हिला सके।
【स्टेप -4】- अब उस बर्तन को गैस पर चढाए जिसमें आपने साबुन बनाने की सारी सामग्री डाली व मुलतानी मिट्ठी और पानी डाला।
【स्टेप -5】- अब उस पेस्ट को तबतक गैस पर उबाले जबतक की वह आपका डाला हुआ पानी आधा ना हो जाये। अधिकतम 20 से 40 मिनट तक उबाले वह चमच्च से हिलाते रहे।
【स्टेप -6】- अब उस लेप को नीचे उतारकर साबुन के साँचे में भर दे, साँचा ना हो तो अपने घर के अंदर उपयोग होने वाली सब्जी की गोल कटोरी में वह भर दीजिए। मेरा अनुभव है, आप
आराम से एक किलो मुलतानी मिट्टी में 15 से 20 ayurvedic soap बन जाते है। और ये दो से तीन महीने तक चल जाते हैं। एकबार थोड़ी मेहनत लगेंगी फिर तीन महीने मजे से नहाओ।
【स्टेप -7】- अभी उन आयुर्वेदिक साबुन के लेप से भरी हुई कटोरियों/ साँचो को धूप में एक-दो दिन सुखाए और और एक दिन के बाद दोनो तरफ से सुखाये वो आप करेंगे तब समझ जायेंगे। ये लीजिए आपका हर्बल आयुवेदिक नहाने का साबुन तैयार है।
Ayurvedic Bathing Tips
नहाना कैसे चाहिए बताइए?
बाजार के अंदर मिलने वाले किसी भी साबुन से नही नहाये क्योंकी इन सभी साबुन में कास्टिक सोडा होता है और अन्य खतरनाक कैमिकल, जिससे आपकी शरीर की त्वचा रूखी और सफेद हो जाती हैं। वह नाना प्रकार की बीमारियों को जन्म देती हैं।
नहाने के बाद चेहरे पर क्या लगाएं?
वह सारी चीजें और तेल व क्रीम लगाये जो शत प्रतिशत प्राकृतिक है और उस पर्दाथ को आपने घर पर घरेलू नुस्खों की मदद से बनाया हो। फिर भी मैं आपको कुछ आयुर्वेदिक तरीके बता देता हूँ; ● एलोवेरा के पौधे से निकाला हुआ ताजा जैल लगा सकते हैं। ● शुद्ध गुलाब जल, नारियल का तेल व सरसो का तेल लगा सकते हैं।
नहाने के पानी में क्या मिलाना चाहिए?
भारतीय ऋषि-मुनियों के आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार नहाने के पानी में भारतीय देशी गाय का गोमूत्र और नीम के पत्ते मिलाना चाहिए जिससे की आपको किसी भी प्रकार की स्किन प्रॉब्लम व एलर्जी नही होंगी।
रोज नहीं नहाने से क्या होता है? नहाते समय कौन सा मंत्र का जाप करें?
रोज नही नहाने से बहुत सारी पसीने की वजह से त्वचा रोग, खुजली, स्किन एलर्जी व स्किन संक्रमण हो सकता हैं। नहाते समय आप गायत्री मंत्र जप, हरे कृष्णा हरे राम मंत्रजप व ओम मंत्र का जाप कर सकते हैं।
हमें प्रतिदिन नहाना क्यों चाहिए?
क्योकी प्रतिदिन नहाने से बीते हुए दिन की सारी गंदगी, पसीना और तनाव उस पानी के साथ बाहर निकल सके और हम एक ताजगी व एक अच्छी भावना के साथ अपने दिन की शुरुआत कर सके।
गंगा नहाने के फायदे
माँ गंगा के गंगाजल से नहाने से हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के सारे पाप मिट जाते हैं। उसके द्वारा किये समस्त गलत कामो को गंगा जी अपने जल से साफ कर देती हैं। इसलिए हर हिन्दू को एकबार हरिद्वार जाकर पवित्र गंगा जल में जरूर नहाना चाहिए।
नहाने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
नहाने के बाद ऐसे कार्य जो आपको अंदर से कमजोर बनाते हैं उनको नही करना चाहिए।
नहाते वक्त क्या करना चाहिए?
नहाते वक्त मन के अंदर अच्छे विचारों को बोलना चाहिए, अच्छे संगीत को सुन सकते हो।
नहाना कैसे चाहिए?
गर्मियों में सबसे पहले पानी सिर/माथे के ऊपर डाले ताकी शरीर की सारी गर्मी बाहर निकल सके। वह सर्दियों में सबसे पहले पानी अपने पैरों पर डाले ताकी आपको पता चल सके पानी ज्यादा गर्म तो नही। ये युक्ति मैंने योगगुरु से सीखी थी।
नदी में नहाने के फायदे
अगर नदी में पानी कम हो तो आप नहा सकते हो इसका अनुभव हूबहू वही होता है जैसा आप स्विमिंग पूल में नहाकर आनंद आता है। नदी में नहाने से सारे तनाव चिंता दूर हो जाती हैं, कुछ समय के लिए। एकबार फिर से चेतावनी : नदी में बहुत कम पानी हो या आपको तैरना आता हो तब ही नहाये।
नहाने का शुभ समय
वैसे तो इस पोस्ट में सभी शुभ समय के बारे में बता दिया है पर संक्षिप्त में बता देता हूँ; नहाने का शुभ समय प्रातःकाल ‘तीन बजे’ से ‘साढ़े चार’ बजे तक का है। Morning 3 am. to 4:30 am.
सुबह कितने बजे नहाना चाहिए
सुबह तीन बजे से आठ बजे तक किसी भी सूरत में नहा लेना चाहिए। सुबह के 8 बजे के बाद बिल्कुल ना नहाये।
इस तरह आपने आज इस पोस्ट में एक महत्वपूर्ण प्रोडक्टिव, लाइफ चेंजिंग, जीवन में कामयाबी दिलाने वाली जानकारी प्राप्त की इस पोस्ट को सभी लोगो के साथ शेयर करें जिनको नहाने का सही तरीका और नहाने का राइट टाइम नही पता।आपका एक शेयर किसी इंसान की बहुत सारी समस्याओं को दूर कर एकता है। इस पोस्ट को उन सभी लोगों के साथ भी जरूर शेयर करे जो नहाने से संबंधित सभी प्रकार के सवालों को इंटरनेट पर खोज रहे हैं। आपको इस पोस्ट की कौनसी बात, टिप्स, उपाय अच्छा लगा नींचे ब्लॉग टिप्पणी बॉक्स में जरूर लिखे।
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